Wednesday, October 17, 2018

श्री हरि के असाधारण लक्षण -३





सामान्य जिव को भी अष्टान्ग योग सिद्धि जैसी समाधी करवाई.  




लोज - मांगरोल गाँव में सत्संगी - बिन सत्संगी, आस्तिक -नास्तिक, बाई-भाई, गुण भावी या द्वेषी सभी को समाधि करवाते. कोई श्री हरि के सामने देखे या तो श्री हरि किसीके सामने देखे उसको फ़ौरन समाधि की स्थिति हो जाती. 

कोई श्री हरि की चाखडी या उनकी चुटकी की आवाज सुनने से भी समाधिग्रस्थ हो जाते थे. कभी श्री हरि के संकल्प से सभामे बैठे सभी भाई-बाई समाधिग्रस्थ हो जाते थे. समाधि की स्थिति में जिस को जो देखने की इच्छा करे वो दिखाय देता यातो श्री हरी जो दिखाना चाहे वो दिखा शकते थे. समाधि कई लोगोको एक ही साथ होती थी मगर अनुभूति सबको अलग अलग होती थी. 

 भादरा गाँव में एक समय एक पंडित श्री हरि के पास आया और संस्कृत के कुछ श्लोक बोला, उसे सुनते ही रत्ना भक्त और डोसा भक्त दोनोंको समाधि हो गई. तो श्री हरि ने पंडित की बहुत ही प्रसंशा करने लगे. तभी पंडित ने बताया “प्रभु में तो बहुत लोगोंको कथा श्रवण करवाया मगर पहेले ऐसा कभी नहीं हुआ. ये समाधि तो इन लोगोंको आपके प्रताप और ऐश्वर्य से हुई है 

“ गढ़पुर गाँव में दादा खाचर के दरबार में श्री हरी एक समय निम तरु के निचे विराजमान थे. उसी वक्त जीवा खाचर के साथ एक अली मोहमद नामधारी मुस्लिम श्री हरि के दर्शन के लिए आया और उसने "समाधि" देखने की इच्छा जताई. श्री हरि ने सचिदानंद स्वामी के ऊपर नज़र डाली और उनको समाधि हो गई, बाद में अपनी छड़ी से छूते ही उनकी समाधि ख़त्म कर दी. 

बाद में सचिदानंद स्वामी ने मुस्लिम को उनकी अरबी भाषा में अपनी समाधि की अनुभूतियाँ बताई. बाद में उसको २४ कलमा सुनवाया. बाद में श्री हरि ने वो मुस्लिम को भी समाधी करवाई. समाधि की स्थिति में मुस्लिम ने तेज पुंज में बैठे श्री हरि की स्तुति करते २४ पयगम्बरो को देखा और बाद में सभी पयगम्बरे श्री हरी के स्वरुप में लीन होते हुए देखा. श्री हरि से अति प्रभावित हो कर बाद में वो मुस्लिम श्री हरि का आश्रित हो गया.

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