वर्ष २००१ मे, मैने कुवैत का जॉब छोडकर वतन मुंबई/इन्डिया वापस आने का फैसला कर लिया था. वापस आने के बाद मेरा इरादा भारत और अमरिका भ्रमण करनेका था. मेरी दो बड़ी बहने ईस्ट कोस्ट में न्यूयॉर्क और केनेडा के किंग्स्टन में स्थाई हुई है, और अब तो मेरा बेटा भी वेस्ट कोस्ट में सियाटल में सेटल हो गया था. जब मैंने अमरिका यात्रा का प्रस्ताव मेरी धर्म पत्नी के पास रखा तो उसने सवाल उठाया और बताया पहले हमारी बेटी निशा का अमरिकी वीसा का इन्तजाम करो बाद में सोच शकते है. ये बात जब मैंने फोन पे मेरे बेटे मेहुल से की तो उसने चिंता जताई की ज्यादातर यंग अन-मेरिड पदवी धारी लड़की यो को मुलाकाती वीसा अर्जी रिजेक्ट हो जाती है और एक बार रिजेक्ट होने के बाद स्टुडन्ट वीसा मिलना भी मुश्किल हो जायेगा. इसलिए आप ठेर जाइये और उचित समय पर में निशा का स्टुडन्ट वीसा का इन्तजाम करूँगा.
मै अमरीका यात्रा करने के लिए बेचेन था, तो मेरी धर्म पत्नि ने बताया शायद हमारी तरह कुवैत से निशा को वीसा मिल जाए ! मगर वीसा के लिए आप पिछले ५ साल से जिस देश में रहते है, सिर्फ उसी देशकी एम्बसी आपकी याचिका स्वीकार शकती है, ऐसा कानून-नियम है. ये बात जब मैंने मेरी श्रीमतिजी से बतलाई तो बोली हमें कोशिस करने में क्या हर्ज है ? ज्यादा से ज्यादा कुवैत की एम्बसी अपने को बम्बई की एम्बसी का संपर्क करने को बतायेगी और तो कुछ नुकशान नहीं है ? और मैने मेरी अमरिका जानेकी ज़िद के खातिर श्रीमतिजी की ये ज़िद मान ली.
उसी साल २००१ में श्री हरी के अति कृपा प्राप्त संत ब्रहमस्वरूप प्रमुख स्वामी महाराज अप्रैल १९ से ले के २२ तक ४ दिन के लिए कुवैत पधारे. तभी मैंने स्वामी बापा को मेरी ये छोटी सी समस्या हल हो जाए इसलिए आशीर्वाद मांगे. तो बापाने मेरे सर पे हाथ रखके बताया “महाराज-स्वामीसे में इस बारे में प्राथर्ना करूँगा “
बाद में जून महीने में कोलेजका सत्र समाप्त होते ही मैने मेरी बेटी निशा को १० दिन के लिए मुंबई से कुवैत खास अमरिका वीसा के खातिर बुलाली. दुसरे दिन शाम सालमिया के गार्डन में हमारी भेट जब दोस्त नरेन्द्र खम्बेति,जो एर फ़्रांस की कुवैत ऑफिस के कर्मचारी थे उनसे हुई तो अमरिकी विसा के बारे में बात निकली. उन्होंने अपने एक बेटा जो इंडिया में पुनाकी कालिज में पढता था उनकी फ़्रांस वीसा की याचिका कुवैत स्थित फ्रांस की एम्बसी ने स्विकार करनेसे मना कर दिया वाली बात बताई. उन्होंने भी दुहराया के आपको भी मुंबई एम्बसी का संपर्क करने की नौबत आ शकती है.
फिर भी में दुसरे दिन सुबह बेंक ऑफ़ कुवैत में वीसा अरजी की फी भरने के लिए पहोंचा. मेरे आगे दो कुवैती थे,उनके बाद मेरा नंबर आया. तो बेंक की कर्मचारी ने ३० दीनार और बेंक स्लिप ले के मुजे फौरन टोकन दे दिया. नियम अनुसार वो मेरी बेटी निशा का "पताका मदनिया" यानी कुवैती वसाहती का कार्ड मांगके चेक करना भूल गई.
घर वापस आने पर में ने मेरी बेटी जो कालिज का सर्टिफिकट ले के आयी थी वो देखा तो में थोडा निराश हो गया. क्यूंकि उसमे उनकी कालिज की पढाई समाप्त हो गई थी ऐसा लिखा था,जो मुलाकाती वीसा याचिका मान्यता के लिए मुश्किल कर शकता था और इसलिए ठीक नहीं था. मगर अब क्या करे ? मैने मेरी बेटी से पूछा तेरे पास और कोई स्टुडन्ट आय कार्ड या ऐसा कुछ है ? तो उन्होंने एक खुश खबर दी. बोली मेरा कालिज का ओरिजिनल लायब्रेरी - आईकार्ड जो में समजी खो गया है और पूरी साल मेंने डुप्लीकेट इस्स्यु किया कार्ड से गुजारी. मगर आज ये मेरी पर्स जो में स्पेशयल ओकेजन पर ही निकालती हूँ उन में से वो मेरा ओरीजीनल कार्ड यहाँ कुवैत आने के बाद मेरे कु मिल गया. मन ही मन में स्वामी बापाको इस घटना के लिए प्रणाम किया.
बाद में मै और मेरी बेटी कुवैत स्थित अमरिकी एम्बसि पहोंचे. उधर गेट पे फिलिपिनो गार्ड ने "पताका मदनिया" याने कुवैत का वसाहती कार्ड माँगा. मैंने ऊपर मेरा कार्ड और उसके नीचे मेरी बेटी निशा का कार्ड जो हकीकत में अवधि समाप्त हो गई थी और रिन्यू नहीं किया था उसे रख के दे दिया. फिर इश्वर कृपा हुई - गार्ड ने दोनों कार्ड्स को चेक किये बिना,अपने बोक्ष बिन में डाल दिया और उनकी बदली में मुजे फ़ौरन दो गले में डालने के लिए एम्बेजी में दाखिल होने की मंजूरी के दो कार्ड दे दिये.
काउन्सिलर ने जब हम को बुलाया तो मेरी बेटी से पूछा तुम क्या करती हो ? तो बोली में कालिज में पढ़ती हु ऐसा कहके कालिज का कार्ड दिखाया. कार्ड को देखे बिना काउंसिलर ने पूछा किस लिए अमरिका जानेका इरादा है ? तो बोली मेरा बड़ा भाई उधर माईक्रोसॉफ्ट में कर्मचारी है, उनको छुट्टी नहीं मिलती है इसलिए में उनको मिलने के लिए जा रही हु. बस इंटरव्यू समाप्त और बताया गया सिंगल एंट्री वीसा चाहिए तो इतना दीनार और अगर मल्टीपल एंट्री चाहिए तो कृपया इतना दीनार केश काउंटर पर जाके जमा करवाइये.
बेंक ऑफ़ कुवैत कर्मचारी का नियमानुसार "पताका मदनिया" चेक किये बिना वीसा फी लेना, खोया हुआ कालिज का लायब्रेरी कार्ड कुवैत में आनेके बाद पर्स में से मिलना, फ़िलिपिनो गार्ड का मेरी बेटी का अवधि समाप्त हुआ कुवैती वसाहती कार्ड को नजर अन्दाज़ करना, कौंसिलर का किधर के कालिज में पढ़ती हो और अगर इण्डिया में मुंबई की कालिज में पढ़ती हो तो मुंबई की एम्बजी में क्यों याचिका नहीं दी एइसे कोई भी सवाल नहीं उठाना ये सब घटना का रहस्य क्या हो शकता है ?
मेरी बेटी निशा को अमरिकी मल्टीपल मुलाकाती वीसा मिल गया. ये जानकारी प्राप्त होते ही, कुवैत स्थित मेरे दोस्त नविन शाह अपने पुरे परिवार - मिया, बीबी, बेटा और बेटी के वीसा के लिए कुवैत स्थित अमरिकी एम्बजी पहोंच गए. पिछले १० सालसे कुवैत टी.वि. प्रसारण के सरकारी कर्मचारी होने के नाते से अमरिकी मुलाकाती वीसा मिलने के बारे में वो बड़े निश्चित थे. मगर उनकी याचिका रिजेक्ट हो गई.
कोई माने या ना माने, मेरे लिए ये सफलता का रहस्य सिर्फ श्री हरि के संत के आशीर्वाद और कृपा के सिवा और कुछ भी हो ही नहीं शकता.
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वर्ष २००१ मे, मैने कुवैत का जॉब छोडकर वतन मुंबई/इन्डिया वापस आने का फैसला कर लिया था. वापस आने के बाद मेरा इरादा भारत और अमरिका भ्रमण करनेका था. मेरी दो बड़ी बहने ईस्ट कोस्ट में न्यूयॉर्क और केनेडा के किंग्स्टन में स्थाई हुई है, और अब तो मेरा बेटा भी वेस्ट कोस्ट में सियाटल में सेटल हो गया था. जब मैंने अमरिका यात्रा का प्रस्ताव मेरी धर्म पत्नी के पास रखा तो उसने सवाल उठाया और बताया पहले हमारी बेटी निशा का अमरिकी वीसा का इन्तजाम करो बाद में सोच शकते है. ये बात जब मैंने फोन पे मेरे बेटे मेहुल से की तो उसने चिंता जताई की ज्यादातर यंग अन-मेरिड पदवी धारी लड़की यो को मुलाकाती वीसा अर्जी रिजेक्ट हो जाती है और एक बार रिजेक्ट होने के बाद स्टुडन्ट वीसा मिलना भी मुश्किल हो जायेगा. इसलिए आप ठेर जाइये और उचित समय पर में निशा का स्टुडन्ट वीसा का इन्तजाम करूँगा.
मै अमरीका यात्रा करने के लिए बेचेन था, तो मेरी धर्म पत्नि ने बताया शायद हमारी तरह कुवैत से निशा को वीसा मिल जाए ! मगर वीसा के लिए आप पिछले ५ साल से जिस देश में रहते है, सिर्फ उसी देशकी एम्बसी आपकी याचिका स्वीकार शकती है, ऐसा कानून-नियम है. ये बात जब मैंने मेरी श्रीमतिजी से बतलाई तो बोली हमें कोशिस करने में क्या हर्ज है ? ज्यादा से ज्यादा कुवैत की एम्बसी अपने को बम्बई की एम्बसी का संपर्क करने को बतायेगी और तो कुछ नुकशान नहीं है ? और मैने मेरी अमरिका जानेकी ज़िद के खातिर श्रीमतिजी की ये ज़िद मान ली.
उसी साल २००१ में श्री हरी के अति कृपा प्राप्त संत ब्रहमस्वरूप प्रमुख स्वामी महाराज अप्रैल १९ से ले के २२ तक ४ दिन के लिए कुवैत पधारे. तभी मैंने स्वामी बापा को मेरी ये छोटी सी समस्या हल हो जाए इसलिए आशीर्वाद मांगे. तो बापाने मेरे सर पे हाथ रखके बताया “महाराज-स्वामीसे में इस बारे में प्राथर्ना करूँगा “
बाद में जून महीने में कोलेजका सत्र समाप्त होते ही मैने मेरी बेटी निशा को १० दिन के लिए मुंबई से कुवैत खास अमरिका वीसा के खातिर बुलाली. दुसरे दिन शाम सालमिया के गार्डन में हमारी भेट जब दोस्त नरेन्द्र खम्बेति,जो एर फ़्रांस की कुवैत ऑफिस के कर्मचारी थे उनसे हुई तो अमरिकी विसा के बारे में बात निकली. उन्होंने अपने एक बेटा जो इंडिया में पुनाकी कालिज में पढता था उनकी फ़्रांस वीसा की याचिका कुवैत स्थित फ्रांस की एम्बसी ने स्विकार करनेसे मना कर दिया वाली बात बताई. उन्होंने भी दुहराया के आपको भी मुंबई एम्बसी का संपर्क करने की नौबत आ शकती है.
फिर भी में दुसरे दिन सुबह बेंक ऑफ़ कुवैत में वीसा अरजी की फी भरने के लिए पहोंचा. मेरे आगे दो कुवैती थे,उनके बाद मेरा नंबर आया. तो बेंक की कर्मचारी ने ३० दीनार और बेंक स्लिप ले के मुजे फौरन टोकन दे दिया. नियम अनुसार वो मेरी बेटी निशा का "पताका मदनिया" यानी कुवैती वसाहती का कार्ड मांगके चेक करना भूल गई.
घर वापस आने पर में ने मेरी बेटी जो कालिज का सर्टिफिकट ले के आयी थी वो देखा तो में थोडा निराश हो गया. क्यूंकि उसमे उनकी कालिज की पढाई समाप्त हो गई थी ऐसा लिखा था,जो मुलाकाती वीसा याचिका मान्यता के लिए मुश्किल कर शकता था और इसलिए ठीक नहीं था. मगर अब क्या करे ? मैने मेरी बेटी से पूछा तेरे पास और कोई स्टुडन्ट आय कार्ड या ऐसा कुछ है ? तो उन्होंने एक खुश खबर दी. बोली मेरा कालिज का ओरिजिनल लायब्रेरी - आईकार्ड जो में समजी खो गया है और पूरी साल मेंने डुप्लीकेट इस्स्यु किया कार्ड से गुजारी. मगर आज ये मेरी पर्स जो में स्पेशयल ओकेजन पर ही निकालती हूँ उन में से वो मेरा ओरीजीनल कार्ड यहाँ कुवैत आने के बाद मेरे कु मिल गया. मन ही मन में स्वामी बापाको इस घटना के लिए प्रणाम किया.
बाद में मै और मेरी बेटी कुवैत स्थित अमरिकी एम्बसि पहोंचे. उधर गेट पे फिलिपिनो गार्ड ने "पताका मदनिया" याने कुवैत का वसाहती कार्ड माँगा. मैंने ऊपर मेरा कार्ड और उसके नीचे मेरी बेटी निशा का कार्ड जो हकीकत में अवधि समाप्त हो गई थी और रिन्यू नहीं किया था उसे रख के दे दिया. फिर इश्वर कृपा हुई - गार्ड ने दोनों कार्ड्स को चेक किये बिना,अपने बोक्ष बिन में डाल दिया और उनकी बदली में मुजे फ़ौरन दो गले में डालने के लिए एम्बेजी में दाखिल होने की मंजूरी के दो कार्ड दे दिये.
काउन्सिलर ने जब हम को बुलाया तो मेरी बेटी से पूछा तुम क्या करती हो ? तो बोली में कालिज में पढ़ती हु ऐसा कहके कालिज का कार्ड दिखाया. कार्ड को देखे बिना काउंसिलर ने पूछा किस लिए अमरिका जानेका इरादा है ? तो बोली मेरा बड़ा भाई उधर माईक्रोसॉफ्ट में कर्मचारी है, उनको छुट्टी नहीं मिलती है इसलिए में उनको मिलने के लिए जा रही हु. बस इंटरव्यू समाप्त और बताया गया सिंगल एंट्री वीसा चाहिए तो इतना दीनार और अगर मल्टीपल एंट्री चाहिए तो कृपया इतना दीनार केश काउंटर पर जाके जमा करवाइये.
बेंक ऑफ़ कुवैत कर्मचारी का नियमानुसार "पताका मदनिया" चेक किये बिना वीसा फी लेना, खोया हुआ कालिज का लायब्रेरी कार्ड कुवैत में आनेके बाद पर्स में से मिलना, फ़िलिपिनो गार्ड का मेरी बेटी का अवधि समाप्त हुआ कुवैती वसाहती कार्ड को नजर अन्दाज़ करना, कौंसिलर का किधर के कालिज में पढ़ती हो और अगर इण्डिया में मुंबई की कालिज में पढ़ती हो तो मुंबई की एम्बजी में क्यों याचिका नहीं दी एइसे कोई भी सवाल नहीं उठाना ये सब घटना का रहस्य क्या हो शकता है ?
मेरी बेटी निशा को अमरिकी मल्टीपल मुलाकाती वीसा मिल गया. ये जानकारी प्राप्त होते ही, कुवैत स्थित मेरे दोस्त नविन शाह अपने पुरे परिवार - मिया, बीबी, बेटा और बेटी के वीसा के लिए कुवैत स्थित अमरिकी एम्बजी पहोंच गए. पिछले १० सालसे कुवैत टी.वि. प्रसारण के सरकारी कर्मचारी होने के नाते से अमरिकी मुलाकाती वीसा मिलने के बारे में वो बड़े निश्चित थे. मगर उनकी याचिका रिजेक्ट हो गई.
कोई माने या ना माने, मेरे लिए ये सफलता का रहस्य सिर्फ श्री हरि के संत के आशीर्वाद और कृपा के सिवा और कुछ भी हो ही नहीं शकता.
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